“Gen-Z का गुस्सा: नेपाल में तख़्तापलट की दस्तक”

नेपाल में Gen-Z विद्रोह: 24 घंटे में सत्ता पलट

नेपाल इस समय जल रहा है। सड़कों पर आग, दंगे और अराजकता का माहौल है। हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को न केवल इस्तीफ़ा देना पड़ा, बल्कि देश छोड़कर भागने की नौबत भी आ गई। यह सब कुछ मात्र 24 घंटे के भीतर हुआ। सवाल यह है कि क्या यह विद्रोह सिर्फ सोशल मीडिया की बहाली के लिए था या फिर इसके पीछे कोई और बड़ी साज़िश छिपी है?

सोशल मीडिया बैन से भड़की आग

नेपाल सरकार ने हाल ही में 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और एक्स (Twitter) जैसे प्रमुख मंच भी शामिल थे। प्रतिबंध लगते ही युवा, खासकर Gen-Z, गुस्से में सड़क पर उतर आए। शुरुआत में आंदोलन का मक़सद सिर्फ सोशल मीडिया को बहाल करना था। लेकिन जब सरकार ने बैन हटा भी दिया, तब भी हिंसा थमने के बजाय और तेज़ हो गई। यही वह मोड़ था, जिसने आंदोलन को “डिजिटल आज़ादी” से आगे बढ़ाकर सीधे सत्ता पलट की ओर धकेल दिया।

प्रदर्शनकारियों का निशाना

विद्रोहियों का गुस्सा इतना भयंकर था कि वे सिर्फ़ नारों और जुलूसों तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और ओली के सहयोगियों के घरों को भी आग के हवाले कर दिया। पुलिस और सुरक्षाबलों के नियंत्रण से हालात बाहर हो गए। आम लोग भयभीत हैं और राजधानी काठमांडू दहशत के साये में जी रहा है।

नेपाल ही क्यों?

  • आश्चर्य की बात यह है कि भारत के चार पड़ोसी देशों में पिछले चार सालों में सत्ता पलट की घटनाएं सामने आई हैं।
  • अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्ज़ा किया।
  • श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति को देश छोड़ना पड़ा।
  • बांग्लादेश में हाल ही में भयानक आंदोलन हुआ।
  • और अब नेपाल, जहाँ Gen-Z की क्रांति ने सरकार को गिरा दिया।
  • इन घटनाओं से साफ़ है कि दक्षिण एशिया इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुज़र रहा है।

प्रदर्शनकारियों का आरोप

प्रदर्शनकारी खुले तौर पर कह रहे हैं कि नेपाल की सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। उनका कहना है—
“यह सरकार सिर्फ अपराधियों को बचाती है। आम जनता की समस्याओं से इसे कोई मतलब नहीं। अब चाहे कुछ भी हो जाए, इस सरकार को भगाकर ही दम लेंगे।”

यही वजह है कि सोशल मीडिया की बहाली के बाद भी हिंसा नहीं रुकी। यह आंदोलन अब केवल तकनीकी आज़ादी का नहीं बल्कि राजनीतिक बदलाव और भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का चेहरा बन चुका है।

आगे का रास्ता

ओली के इस्तीफ़े के बाद विपक्ष ने गिरफ्तारी की मांग उठाई है। सवाल यह है कि क्या नेपाल में लोकतंत्र सुरक्षित है या फिर यह देश किसी नई राजनीतिक उथल-पुथल के मुहाने पर खड़ा है?
नेपाल की मौजूदा स्थिति न केवल उसकी आंतरिक राजनीति बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है।

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