हैवान बनी टीचर! बच्चे को नंगाकर कांटेदार झाड़ियों से पीटा, वीडियो वायरल होते ही सस्पेंड

शिमला रोहड़ू टीचर वायरल वीडियो: मासूम पर जुल्म की हद पार, शिक्षा के मंदिर में इंसानियत हुई शर्मसार

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे प्रदेश ही नहीं, देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जहां बच्चे को शिक्षा और संस्कार देने की जिम्मेदारी होती है, वहीं एक अध्यापिका ने अपनी हैवानियत से उस पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया। शिमला के रोहड़ू क्षेत्र के सरकारी प्राथमिक विद्यालय गवाना (केंद्र कुटारा) में मुख्य अध्यापिका रीना राठौर ने एक छोटे बच्चे के साथ जो किया, वह किसी भी तरह से माफ़ करने लायक नहीं है।

वीडियो में रीना राठौर एक बच्चे को पहले कपड़े उतरवाने को कहती है और फिर उसे कांटेदार झाड़ियों (Prickly Bush) से बेरहमी से पीटती है। बच्चे के शरीर पर टीशर्ट नहीं है, वह दर्द से रो रहा है, चीख रहा है, दया की भीख मांग रहा है, लेकिन अध्यापिका का दिल जरा भी नहीं पिघलता। वह लगातार बच्चे पर वार करती जाती है और कहती है – “अब मैं ये वीडियो वायरल कर दूंगी ताकि सबको पता चले तूने चोरी की है।”

इस एक मिनट 17 सेकंड के वीडियो में न सिर्फ एक मासूम की पीड़ा दिखती है, बल्कि उस शिक्षक समाज की गिरती संवेदनशीलता भी नजर आती है जो बच्चों को डर और सजा के नाम पर प्रताड़ना देने से पीछे नहीं हटते। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वीडियो में कमरे में कुछ और लोग भी मौजूद हैं, लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं होती कि उस बच्चे को बचा ले। सब खामोश तमाशबीन बने रहते हैं।

वीडियो वायरल होते ही मचा बवाल

जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई। हर कोई यह देखकर हैरान था कि कोई शिक्षक इस हद तक कैसे गिर सकता है। फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर लोगों ने खुलकर कहा कि ऐसी अध्यापिका को सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि जेल भेजा जाना चाहिए। कई यूज़र्स ने लिखा – “जिस हाथ में बच्चों को किताब देनी थी, वही हाथ झाड़ियों से वार कर रहा है, इससे बड़ी शर्म क्या होगी?”

शिक्षा विभाग की सख्त कार्रवाई

वीडियो सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अध्यापिका रीना राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आदेश में साफ लिखा गया है कि उनका यह कृत्य “बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE Act, 2009)” की धारा 17 का गंभीर उल्लंघन है। इस धारा के तहत बच्चों पर किसी भी प्रकार की शारीरिक सजा या मानसिक उत्पीड़न पर पूर्ण प्रतिबंध है।

साथ ही, विभाग ने इसे केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 3(1) के तहत गंभीर कदाचार (Gross Misconduct) बताया है। सस्पेंशन की अवधि में रीना राठौर का मुख्यालय खंड प्राथमिक शिक्षा कार्यालय, सराहन (शिमला) निर्धारित किया गया है और उन्हें बिना अनुमति कहीं जाने की इजाजत नहीं होगी।

शिक्षा के मंदिर में इंसानियत की मौत

यह घटना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि इंसानियत की सीमाओं को भी लांघ गई है। जिस उम्र में बच्चे प्यार और सहारे के भूखे होते हैं, उसी उम्र में उन पर इस तरह का जुल्म उन्हें अंदर से तोड़ देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसे बच्चों के मन पर गहरा मानसिक प्रभाव डालते हैं। वे पढ़ाई से डरने लगते हैं, स्कूल जाने से कतराने लगते हैं और उनका आत्मविश्वास हमेशा के लिए डगमगा जाता है।

समाज में उठे सवाल

लोगों के मन में अब कई सवाल उठ रहे हैं —

क्या सिर्फ निलंबन जैसी कार्रवाई से ऐसे शिक्षकों को सबक मिलेगा?

उस बच्चे के मनोवैज्ञानिक घावों को भरने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

क्या स्कूलों में निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर है कि ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद ही कार्रवाई होती है?

यह मामला पूरे समाज के लिए आईना है कि शिक्षा के नाम पर हम बच्चों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं। बच्चे किसी भी देश की सबसे कीमती पूंजी हैं, और अगर उन्हें ही भय और अपमान झेलना पड़े तो शिक्षा का असली अर्थ ही खत्म हो जाता है।

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