पाकिस्तान में धमाके 9 सैनिकों की मौत 8 घायल

पाकिस्तान में एक और आतंकी हमला: साउथ वजीरिस्तान में IED धमाके से 9 सैनिक शहीद, 8 घायल

पाकिस्तान में आतंकवाद एक बार फिर खौफनाक चेहरा दिखा गया। खैबर पख्तूनख्वा के साउथ वजीरिस्तान ज़िले के मोला खान सराई इलाके में सोमवार को आतंकियों ने सेना के काफिले को निशाना बनाते हुए आईईडी धमाका किया। इस भीषण विस्फोट में पाकिस्तान के 9 सैनिकों की मौत हो गई, जबकि 8 सैनिक गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पर डाली जा रही है, जो इस क्षेत्र में अक्सर सुरक्षा बलों को निशाना बनाता है।

आईईडी धमाके में शहीद हुए सैनिक

हमले में शहीद हुए सैनिकों की पहचान हो चुकी है। इनमें सूबेदार जाहिद, सिपाही फारूक, नाइक क्लर्क तनवीर, नाइक ताहिर नवाज, लांस नाइक आसिफ, लांस हवलदार आरिफ, सिपाही अब्दुल रहमान, लांस हवलदार सईद और सिपाही आरिफ शामिल हैं। इन सैनिकों ने अपनी जान देश की सुरक्षा में न्यौछावर कर दी। पाकिस्तान आर्मी ने उनकी बहादुरी और बलिदान को याद करते हुए कहा कि आतंकवादियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

घायल सैनिकों का इलाज जारी

इस धमाके में सिर्फ जानें ही नहीं गईं बल्कि कई सैनिक घायल भी हुए। जानकारी के अनुसार, लांस नाइक जावेद और नाइक मुबाशिर की हालत बेहद गंभीर है। इनके अलावा नाइक क्लर्क शौकत, सिपाही काशिफ, लांस नाइक तारिक, लांस नाइक दुर मुहम्मद, नाइक जहूर और सिपाही दानियाल भी घायल हुए हैं। सभी घायलों को नजदीकी सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। सेना के मुताबिक कुछ घायलों को बेहतर इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में भी शिफ्ट किया जा सकता है।

आतंकवाद का गढ़ बन चुका है खैबर पख्तूनख्वा

पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा इलाका लंबे समय से आतंकियों की गतिविधियों का केंद्र रहा है। अफगानिस्तान की सीमा से सटा यह क्षेत्र हमेशा से आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना माना जाता रहा है। खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने इस इलाके में कई बार सेना और पुलिस को निशाना बनाया है। पिछले कुछ महीनों में यहां लगातार हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे आम जनता भी खौफ के साए में जीने को मजबूर है।

पाकिस्तान के लिए बढ़ती चुनौती

पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव से जूझ रहा है। ऐसे हालात में आतंकवाद ने देश की सुरक्षा और स्थिरता पर और बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सेना और पुलिस अक्सर दावा करते हैं कि आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हर कुछ हफ्तों में इसी तरह के हमले देखने को मिल रहे हैं। साउथ वजीरिस्तान का हालिया हमला एक बार फिर यह साबित करता है कि आतंकवाद पर नियंत्रण पाना पाकिस्तान के लिए अभी भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।

आम जनता पर असर

इन हमलों का असर सिर्फ सेना तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय लोग भी दहशत के साए में जी रहे हैं। आईईडी धमाकों और फायरिंग की घटनाओं से आम नागरिकों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग घर से बाहर निकलने से डरते हैं और बाजारों में भी रौनक खत्म हो गई है। स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और रोज़गार के अवसर भी घट रहे हैं। ऐसे माहौल में जनता यह सवाल पूछने पर मजबूर है कि आखिर सरकार कब तक सिर्फ बयानबाज़ी करती रहेगी और ठोस कार्रवाई कब होगी।

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