CRPF घोटाला खुलासा: भ्रष्टाचार केस में 4 AC समेत कई कर्मी रडार पर, होगी बड़ी रिकवरी

CRPF की दूसरी बटालियन में राशन–लकड़ी खरीद घोटाला, 59 हज़ार तक की रिकवरी से मचा हड़कंप

देश की सुरक्षा में 24 घंटे तैनात रहने वाले सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल CRPF (केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल) की दूसरी बटालियन इन दिनों सुर्खियों में है। वजह है राशन, फायर वुड (लकड़ी) और LPG सिलेंडर की खरीद में कथित गड़बड़ियाँ। इन गड़बड़ियों का खुलासा होते ही बटालियन में हड़कंप मच गया है। बल मुख्यालय ने संबंधित अधिकारियों और कर्मियों से जवाब तलब किया है, साथ ही कई पर रिकवरी भी डाल दी गई है।

मामला कैसे खुला?

सूत्रों के मुताबिक, दूसरी बटालियन में पिछले कुछ महीनों से राशन और जरूरी सामानों की खरीद ऊँची दरों पर की जा रही थी। जांच में यह पाया गया कि राशन, लकड़ी और LPG सिलेंडर जैसी बुनियादी जरूरत की चीजें बाजार मूल्य से अधिक दामों पर खरीदी गईं। नतीजतन, बल को आर्थिक नुकसान हुआ और पूरा मामला संदिग्ध लेन-देन की ओर इशारा करने लगा।

किन अधिकारियों और कर्मियों पर गिरी गाज?

बल मुख्यालय ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए कई कर्मियों और अधिकारियों को 10 सितंबर तक अपना रिप्रेजेंटेशन (स्पष्टीकरण) देने का आदेश दिया है। इस सूची में सहायक कमांडेंट जे.पी. सिंह, जे.एस. साहेब राव, राजीव कुमार, प्रज्वल एन.पी. और सुबेदार मेजर राजेश कुमार जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी से 10 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है कि आखिर उनकी निगरानी में ऐसी खरीद क्यों की गई।

कितनी हुई रिकवरी?

इस मामले में कुल 40 से अधिक कर्मियों पर रिकवरी डाली गई है। सूत्र बताते हैं कि रिकवरी की राशि 800 रुपये से लेकर 59,000 रुपये तक है। यानी अलग–अलग कर्मियों और अधिकारियों पर उनके जिम्मेदारी और भूमिका के हिसाब से आर्थिक बोझ डाला गया है। यह कदम बल की साख बचाने और जवाबदेही तय करने के लिए उठाया गया है।

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी भी हुई

इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए CRPF ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी भी बुलाई थी। जांच बोर्ड ने राशन, लकड़ी और LPG सिलेंडर की खरीद से जुड़ी फाइलों और बिलों की गहन समीक्षा की। दिलचस्प बात यह है कि जांच में कई अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई, लेकिन कमांडेंट को क्लीन चिट दे दी गई। बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स की जांच के बाद यह साफ हुआ कि खरीद प्रक्रिया में कई स्तरों पर गड़बड़ियाँ हुईं, लेकिन शीर्ष स्तर पर सीधे दोष सिद्ध नहीं हो पाया।

बड़े अफसर भी घेरे में

हालांकि जांच रिपोर्ट ने कमांडेंट को राहत दी है, लेकिन चार–पाँच अफसरों के साथ-साथ दर्जनों कर्मियों पर गाज गिरी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब राशन और ईंधन ऊँची दरों पर खरीदा जा रहा था, तो फिर कमांडेंट की निगरानी में यह कैसे हो गया? क्या यह लापरवाही थी या फिर जानबूझकर आँखें मूँद ली गईं?

सूत्रों का बड़ा दावा

सूत्र बताते हैं कि बल मुख्यालय इस मामले को हल्के में लेने के मूड में नहीं है। इसलिए जिन 40 से अधिक कर्मियों पर रिकवरी डाली गई है, उन्हें तय समय में पैसा जमा करना होगा। इसके अलावा, जिन अफसरों को नोटिस भेजा गया है, उनके जवाब पर आगे की कार्रवाई निर्भर करेगी। अगर स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला, तो कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।

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