
नेपाल से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और म्यांमार तक… विद्रोह और तख़्ता पलट का इतिहास, नेपाल में हालात फिर से बेकाबू
भारत के पड़ोसी देशों का इतिहास हमेशा उथल-पुथल और अस्थिरता से भरा रहा है। कभी सत्ता पर क़ब्ज़े के लिए सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंका, तो कभी जनता ने सड़कों पर उतरकर तानाशाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाया। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और म्यांमार पहले ही ऐसे दौर से गुजर चुके हैं, और अब नेपाल में हालात ने एक बार फिर सबका ध्यान खींच लिया है।
नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़का गुस्सा
हाल ही में नेपाल सरकार ने अचानक सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म बंद होने के बाद युवाओं में आक्रोश फैल गया। लोग सड़कों पर उतर आए और देखते ही देखते विरोध प्रदर्शनों ने उग्र रूप ले लिया। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। हालात इतने बिगड़े कि कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
स्थिति यहां तक पहुंच गई कि गुस्साई भीड़ ने मंत्रियों के घरों में आग लगा दी। राजधानी समेत कई शहरों में कर्फ्यू जैसा माहौल बन गया। सरकार ने हालात काबू में करने के लिए सख्ती दिखाई, लेकिन युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। यह स्पष्ट है कि नेपाल में लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने की कोशिश जनता को और भड़का रही है।
बांग्लादेश: सत्ता संघर्ष और विद्रोह की दास्तां
नेपाल से पहले बांग्लादेश में भी राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता पलट का लंबा इतिहास रहा है। 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बने इस देश में लोकतंत्र की शुरुआत तो हुई, लेकिन जल्दी ही सत्ता संघर्ष और हत्याओं का दौर छिड़ गया। 1975 में देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई और सेना ने सत्ता संभाल ली। इसके बाद कई बार विद्रोह और सैन्य हस्तक्षेप होते रहे।
अफगानिस्तान: लगातार युद्ध और सत्ता परिवर्तन
अफगानिस्तान का नाम आते ही विद्रोह और सत्ता पलट की कहानियां याद आती हैं। सोवियत कब्ज़े से लेकर अमेरिकी हस्तक्षेप और तालिबान की वापसी तक, इस देश ने कभी स्थिरता नहीं देखी। 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा किया, तो पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे हथियारों के दम पर लोकतांत्रिक सरकार को गिरा दिया गया।
म्यांमार: लोकतंत्र की राह में रुकावट
भारत का एक और पड़ोसी म्यांमार भी तख़्ता पलट का गवाह रहा है। यहां 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटा दिया और आपातकाल लागू कर दिया। इसके बाद से लगातार हिंसा, गिरफ्तारियां और प्रदर्शन जारी हैं।