नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर Gen Z की क्रांति

नेपाल इन दिनों बड़े राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। 4 सितंबर 2025 को सरकार ने अचानक Facebook, Instagram, WhatsApp समेत 26 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने का ऐलान किया। इस फैसले ने पूरे देश, खासकर Gen Z युवाओं में जबरदस्त गुस्सा और असंतोष की लहर पैदा कर दी।
सरकार का दावा है कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें और उकसाने वाले पोस्ट्स देश की स्थिरता को बिगाड़ रहे थे। लेकिन युवाओं का कहना है कि यह फैसला उनकी आवाज़ दबाने और लोकतंत्र को कुचलने की सोची-समझी साज़िश है।
विरोध से हिंसा तक
सरकार के फैसले के तुरंत बाद राजधानी काठमांडू, भक्तपुर, जनकपुर, नेपालगंज और कई अन्य शहरों में हज़ारों छात्र-छात्राएँ सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गया। संसद भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं।
अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है और 170 से ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। हालात काबू से बाहर होते देख प्रधानमंत्री ओली ने आपातकालीन बैठक बुलाई और सुरक्षाबलों को कठोर कदम उठाने के आदेश दिए।
गोली, आंसू गैस और कर्फ्यू
काठमांडू और उसके आसपास के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इंटरनेट सेवाएँ आधे नेपाल में बंद कर दी गई हैं ताकि लोग सोशल मीडिया के जरिए विरोध को और न भड़का सकें।
प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन हालात बिगड़ते देख सेना को तैनात कर दिया गया। कई जगहों पर असली गोलियाँ भी चलाई गईं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छात्र-छात्राओं पर भी गोलीबारी की गई। नेपाल के गृहमंत्री ने साफ आदेश दिए हैं कि किसी भी कीमत पर यह आंदोलन दबाना होगा।
छात्र संगठन और राजनीतिक हलचल
नेपाल के 17 बड़े छात्र संगठन इस आंदोलन में कूद चुके हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ सोशल मीडिया का मामला नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई है।
दूसरी ओर, 6 प्रांतीय सरकारें भी इस फैसले के खिलाफ खड़ी हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह पूरा कदम एक सियासी साज़िश है ताकि विपक्ष को कमजोर किया जा सके।
Gen Z की जिद बनाम सरकार की जिद
एक ओर सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है, वहीं दूसरी ओर युवाओं का कहना है कि अगर सोशल मीडिया बैन नहीं हटाया गया तो वे आंदोलन और तेज करेंगे। काठमांडू की सड़कों पर अब यह लड़ाई “डिजिटल आज़ादी बनाम राजनीतिक तानाशाही” के रूप में दिख रही है।
नेपाल का भविष्य किस ओर?
नेपाल के हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा रही है क्योंकि पड़ोसी देशों तक इस अशांति का असर पड़ सकता है।
सवाल यह है कि क्या सरकार इस जिद को छोड़कर युवाओं की आवाज़ सुनेगी या फिर नेपाल एक लंबे और हिंसक आंदोलन की ओर बढ़ रहा है?
फिलहाल इतना तय है कि नेपाल में अब रील्स नहीं बनेंगी, लेकिन असली ज़िंदगी की क्रांति जरूर लिखी जा रही है – और उसके केंद्र में हैं नेपाल के Gen Z युवा।