
ग्लोबल इंटरनेट स्लोडाउन: लाल सागर के नीचे टूटी डिजिटल लाइफलाइन
दुनिया आज जिस चीज़ पर सबसे ज़्यादा निर्भर है, वह है इंटरनेट। हमारे रोज़मर्रा के कामकाज से लेकर बड़े-बड़े उद्योगों तक, सब कुछ इंटरनेट की तेज़ रफ़्तार पर टिका हुआ है। लेकिन सोचिए अगर अचानक यही रफ़्तार धीमी पड़ जाए तो क्या होगा? ऐसा ही नज़ारा इन दिनों दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहा है, और इसकी वजह बनी है लाल सागर (Red Sea) के नीचे बिछी ऑप्टिकल केबल्स का कटना।
सूत्रों के अनुसार, लाल सागर के गहरे पानी में कई अंतरराष्ट्रीय ऑप्टिकल केबल्स क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ये वही केबल्स हैं जिनके ज़रिए एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच तेज़ इंटरनेट कनेक्शन बना रहता है। इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी GGC (Global Communication Company) के अनुसार, क्षेत्र में बिछी 15 अंडरवॉटर केबल्स में से 4 महत्वपूर्ण केबल्स कट चुकी हैं। इसका सीधा असर करीब दुनिया के एक-चौथाई इंटरनेट ट्रैफिक पर पड़ा है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस घटना के पीछे यमन के हूती विद्रोहियों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। लाल सागर पहले से ही एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि यह दुनिया के सबसे अहम समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है। ऐसे में यहां इस तरह की तोड़फोड़ न केवल इंटरनेट बल्कि वैश्विक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा खतरा है।
इस घटना का असर दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। माइक्रोसॉफ्ट का क्लाउड प्लेटफॉर्म Azure इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसके कारण कई देशों में सर्विस स्लो या बाधित हुई। यूज़र्स को वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन पेमेंट, क्लाउड स्टोरेज और यहां तक कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा।
इंटरनेट के इस बड़े व्यवधान ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी डिजिटल दुनिया कितनी नाज़ुक है। करोड़ों डॉलर की इन अंडरसी केबल्स पर पूरी दुनिया का नेटवर्क टिका हुआ है। ज़रा सा भी व्यवधान आते ही असर अरबों लोगों तक पहुंच जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या को पूरी तरह दुरुस्त करने में हफ़्तों का समय लग सकता है। अंडरवॉटर केबल्स की मरम्मत बेहद चुनौतीपूर्ण और खर्चीला काम है, जिसमें हाई-टेक शिप्स और गहरे पानी में काम करने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है।
यह घटना हमें एक बड़ा सबक देती है—तकनीक पर निर्भरता जितनी बढ़ रही है, उतना ही हमें इसकी सुरक्षा और वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा। भविष्य में यदि इस तरह के हमले बढ़ते हैं तो इसका असर सिर्फ इंटरनेट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी गहरा होगा।
फिलहाल, एशिया से लेकर यूरोप तक इंटरनेट की धीमी रफ़्तार ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। हर कोई यही उम्मीद कर रहा है कि समुद्र के नीचे टूटी इस डिजिटल लाइफलाइन को जल्द से जल्द ठीक किया जाए, ताकि दुनिया फिर से पहले जैसी तेज़ रफ़्तार से जुड़ सके।