माउंट एवरेस्ट पर बर्फीले तूफान का कहर: तिब्बती हिस्से में 1,000 पर्वतारोही फंसे, जारी है राहत और बचाव अभियान

माउंट एवरेस्ट पर तबाही का तूफान: हज़ार पर्वतारोही फंसे, जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

बीजिंग: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट इन दिनों बर्फ और तूफान के कहर से जूझ रही है। तिब्बत के माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में आए एक भयंकर बर्फीले तूफान ने वहां मौजूद करीब 1,000 पर्वतारोहियों को फंसा दिया है। सभी को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव अभियान (रेस्क्यू ऑपरेशन) युद्ध स्तर पर जारी है।

स्थानीय प्रशासन और सेना के साथ-साथ सैकड़ों ग्रामीण भी राहत कार्य में जुटे हुए हैं। अब तक 350 से अधिक पर्वतारोहियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है, लेकिन अभी भी सैकड़ों लोग ऊंची बर्फीली चोटियों पर फंसे हुए हैं, जहां तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला गया है।

4,900 मीटर की ऊंचाई पर फंसे पर्वतारोही

यह हादसा उस इलाके में हुआ है जो 4,900 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। बर्फीले तूफान के चलते वहां की सड़कें और रास्ते पूरी तरह बर्फ से ढक गए हैं। कई जगहों पर बर्फ की मोटी परत 5 फीट तक जम चुकी है, जिससे बचाव दलों को आगे बढ़ने में भारी मुश्किलें हो रही हैं। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि बचाव के लिए हेलीकॉप्टर और स्नो व्हीकल भी भेजे गए हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं।

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर अचानक तबाही

माउंट एवरेस्ट जिसे चीन में माउंट कोमोलांगमा (Mount Qomolangma) कहा जाता है, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी (8,849 मीटर) है। यह हमेशा से पर्वतारोहियों के लिए रोमांच और चुनौती का प्रतीक रही है। हर साल हजारों लोग दुनिया के कोने-कोने से यहां आते हैं।
लेकिन इस बार अक्टूबर का महीना, जो सामान्यत: साफ और सुरक्षित मौसम के लिए जाना जाता है, भयावह बर्फीले तूफान का गवाह बन गया।

एक स्थानीय गाइड ने बताया, “मैंने अक्टूबर में ऐसा मौसम कभी नहीं देखा। सब कुछ अचानक हुआ। पहले हल्की बर्फ गिर रही थी, लेकिन कुछ ही घंटों में तूफान ने रौद्र रूप ले लिया। कई टेंट उड़ गए, रास्ते गायब हो गए और तापमान तेजी से गिर गया।”

अक्टूबर में ऐसा मौसम पहली बार

आमतौर पर अक्टूबर का महीना एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। उस समय आसमान साफ रहता है, तापमान स्थिर रहता है और बर्फबारी बहुत कम होती है। लेकिन इस बार अचानक आए इस बर्फीले तूफान ने सबको हैरान कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के बढ़ते असर का संकेत है। मौसम अब पहले जैसा नहीं रहा — गर्मी, बारिश, बर्फ, और तूफान — सब कुछ अनिश्चित हो गया है।

पूरा क्षेत्र चरम मौसम की चपेट में

एवरेस्ट क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरा हिमालयी इलाका इन दिनों चरम मौसमी परिस्थितियों से जूझ रहा है। पड़ोसी देश नेपाल में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। कई पुल और सड़कें टूट गई हैं।
उधर, दक्षिण चीन में टाइफून “मैटमो” ने दस्तक दी है, जिसकी रफ्तार 151 किमी प्रति घंटा तक पहुंच गई है। इस तूफान के कारण चीन सरकार ने 3.47 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

राहत और बचाव जारी

तिब्बत प्रशासन ने बताया कि फिलहाल रेस्क्यू टीम लगातार ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचने की कोशिश कर रही है। कई गांवों के लोग भी अपने संसाधनों के साथ बचाव दल में शामिल हुए हैं।
अब तक 350 से अधिक पर्वतारोहियों को स्थानीय लोगों की मदद से सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन कई पर्वतारोही अभी भी कैंप-3 और कैंप-4 के बीच फंसे हुए बताए जा रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि मौसम में थोड़ा सुधार होते ही हवाई बचाव अभियान तेज कर दिया जाएगा।

प्रकृति की चेतावनी

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रकृति की एक चेतावनी है। बढ़ता ग्लोबल वार्मिंग, पिघलते ग्लेशियर और बदलता जलवायु चक्र, हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए खतरे की घंटी हैं।
माउंट एवरेस्ट पर आया यह बर्फीला तूफान एक बार फिर याद दिलाता है कि प्रकृति से खिलवाड़ की कीमत इंसान को हमेशा भारी पड़ती है।

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