
बागपत ट्रिपल मर्डर केस: मासूम चेहरों के पीछे छिपे दरिंदे, जिन्होंने मौलाना की पूरी दुनिया उजाड़ दी
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से निकली यह वारदात इंसानियत को झकझोर देने वाली है। एक ऐसी कहानी जो यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि कैसे मासूम से दिखने वाले दो नाबालिग चेहरों के अंदर इतनी हैवानियत पनप सकती है कि उन्होंने अपने ही मौलाना की पत्नी और दो मासूम बेटियों को मौत के घाट उतार दिया। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि गांगनोली गांव की वह सच्चाई है जिसने पूरे इलाके में दहशत और सन्नाटा फैला दिया है।
शनिवार दोपहर का वक्त था। मस्जिद के पास मौजूद घर में हमेशा की तरह तालीम देने का सिलसिला चलना था। मौलाना मुफ़्ती की पत्नी इसराना बच्चियों को कुरान और तालीम पढ़ाया करती थीं। लेकिन उस दिन जब कुछ बच्चियां पढ़ाई के लिए घर पहुंचीं, तो उन्होंने जो देखा, उसने उनकी रूह तक हिला दी।
दरवाजे पर पड़ी खून की बूंदें, चारपाई के नीचे लटकता शव और कमरे में पसरा सन्नाटा… यह सब देखकर छह बच्चियां जोर-जोर से चीख पड़ीं। उनकी चीखों से गांव के लोग इकट्ठा हुए और जो दृश्य सामने था, उसने सबको थर्रा दिया। चारपाई पर मौलाना की पत्नी इसराना का सिर फटा हुआ था, दोनों बेटियां खून से लथपथ वहीं पड़ी थीं। किसी के सीने में वार था, किसी के सिर में गहरे निशान — कमरे की दीवारें और बिस्तर खून से लाल हो चुके थे।
पुलिस जब मौके पर पहुंची तो हर किसी के मन में यही सवाल था कि आखिर इतना बेरहम काम किसने किया? जवाब जब मिला, तो लोग सन्न रह गए। जिन नाबालिगों पर इस वारदात का शक भी किसी को नहीं था, वही इसके गुनहगार निकले। और सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि ये दोनों आरोपी मौलाना मुफ़्ती के ही छात्र थे, जो उनसे पढ़ते थे और उन्हीं के घर आते-जाते थे।
बागपत पुलिस ने महज़ 6 घंटे के भीतर इस हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया। पूछताछ में सामने आया कि दोनों नाबालिगों ने मौलाना से बदला लेने के लिए यह साजिश रची थी। एक छोटी सी बात को लेकर मन में बदले की आग इतनी भड़क गई कि उन्होंने मौलाना की गैरमौजूदगी में उनकी पत्नी और बच्चियों को निशाना बना लिया।
दोनों आरोपी शुक्रवार रात से ही मौके की तलाश में थे। शनिवार दोपहर जब उन्हें पता चला कि मौलाना घर पर नहीं हैं, तो वे घर में घुस गए। अंदर इसराना और उनकी दोनों बच्चियां थीं। पहले दोनों ने उनसे बहस की और फिर अचानक हमला बोल दिया। एक ने हथौड़ा उठाया और दूसरे ने चाकू। दोनों ने मिलकर इतने वार किए कि किसी को बचने का मौका ही नहीं मिला। जब वार खत्म हुए, तब तक तीनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
घटना के बाद दोनों आरोपी वहां से भाग निकले, लेकिन इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल लोकेशन की मदद से पुलिस ने जल्द ही दोनों को पकड़ लिया। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि मौलाना से उनकी किसी बात पर नाराजगी थी, और उसी गुस्से में उन्होंने यह कदम उठाया।
यह सुनकर हर कोई हैरान रह गया — आखिर इतना बड़ा अपराध करने के पीछे दो नाबालिग बच्चों के दिमाग में इतनी नफरत कैसे भर गई? क्या यह किसी मानसिक विकृति का नतीजा था या समाज में बढ़ती हिंसा और क्रोध का असर?
गांव के लोग अब भी उस दिन की याद से कांप जाते हैं। जिन बच्चियों ने सबसे पहले यह दृश्य देखा, वे सदमे से अब तक नहीं उबर पाई हैं। उनके चेहरों पर डर और खौफ साफ झलकता है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि पढ़ाई लिखाई के माहौल में ऐसी हैवानियत जन्म ले सकती है।
मौलाना मुफ़्ती जब घटना के बाद घर पहुंचे तो उनके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। उनकी आंखों के सामने उनकी पूरी दुनिया तबाह हो चुकी थी — पत्नी और दोनों बेटियां अब सिर्फ यादों में रह गईं।
यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गहरी चेतावनी है। जब मासूम चेहरों में दरिंदगी घर करने लगे, तो समझ लेना चाहिए कि हमें अपने बच्चों की मानसिकता, उनके गुस्से और उनकी सोच पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि कभी-कभी एक छोटी सी चिंगारी इतना बड़ा तूफान ले आती है कि सब कुछ तबाह कर देती है।
बागपत का यह ट्रिपल मर्डर केस इंसानियत की सीमाओं से परे है। नाबालिगों द्वारा की गई यह वारदात बताती है कि अपराध की कोई उम्र नहीं होती, और नफरत जब सिर चढ़कर बोले, तो मासूमियत भी खून से लथपथ हो जाती है।