“नागपुर बोला – सोनम वांगचुक को रिहा करो!” लद्दाख के समर्थन में उठा जनसैलाब, कल संविधान चौक पर होगा धरना आंदोलन

लद्दाख की आवाज गूंज उठी : सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से भड़का देशव्यापी आक्रोश, नागपुर में संगठनों ने खोला मोर्चा

नागपुर। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर देशभर में आंदोलन की लहर दौड़ गई है। पर्यावरणविद, शिक्षाविद और वैज्ञानिक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को और भी तेज कर दिया है। नागपुर में ‘हम भारत के लोग’ बैनर तले कई सामाजिक, छात्र, और मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए 7 अक्टूबर को संविधान चौक पर धरना आंदोलन का ऐलान किया है।

राज्य का दर्जा दो, वांगचुक को रिहा करो” की गूंज

रविवार को नागपुर के रविभवन में आयोजित पत्र परिषद में बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और शिक्षाविद एकत्र हुए। परिषद में प्रकाश दर्शनिक, सुधांशु मोहोड़, सुनील सारिपुत्त, शंकर धेंगरे, नरेश वहाने, मिलिंद पखले, भूपेश थुलकर, अरुण गाडे, प्रकाश कुम्भे और राजन वाघमारे जैसे प्रमुख लोगों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि सोनम वांगचुक जैसे शांतिप्रिय, शिक्षाविद और पर्यावरण प्रेमी व्यक्ति को आतंकियों की तरह गिरफ्तार करना लोकतंत्र के चेहरे पर धब्बा है।

कौन हैं सोनम वांगचुक?

लद्दाख के रहने वाले सोनम वांगचुक को दुनिया एक आदर्श शिक्षाविद और पर्यावरण के मसीहा के रूप में जानती है। उन्होंने अपने प्रयोगों से न केवल हिमालयी पारिस्थितिकी को बचाने का प्रयास किया बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ‘सेक-मोल’ जैसे स्कूल मॉडल के जरिए नई दिशा दिखाई।
वांगचुक लंबे समय से लद्दाख के लोगों के अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनकी मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए और उसे छठी अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि वहां के स्थानीय लोगों की भूमि, रोजगार और संस्कृति सुरक्षित रह सके।

गिरफ्तारी ने बढ़ाया गुस्सा

24 सितंबर 2025 को वांगचुक ने लद्दाख में भूख हड़ताल समाप्त की थी क्योंकि आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेने लगा था। इसके बावजूद, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में ले लिया गया — वह कानून जो आमतौर पर आतंकवादियों और देशद्रोहियों पर लगाया जाता है।
संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि वांगचुक को बिना किसी पूर्व सूचना या कानूनी कारण बताए गिरफ्तार किया गया। जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, उनकी पत्नी घर पर नहीं थीं। बाद में फोन पर उन्हें केवल यह सूचना दी गई कि उनके पति को जोधपुर जेल भेजा गया है।

नागपुर में उठी आवाज – “यह केवल लद्दाख की लड़ाई नहीं, यह देश की लड़ाई है”

पत्र परिषद में वक्ताओं ने कहा कि वांगचुक का संघर्ष केवल लद्दाख के लोगों का नहीं है, बल्कि यह हर उस नागरिक की लड़ाई है जो लोकतंत्र, पर्यावरण और संविधान में विश्वास रखता है।
संगठनों ने स्पष्ट कहा कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आश्वासनों पर आधारित है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वांगचुक को तत्काल और बिना शर्त रिहा नहीं किया, तो यह आंदोलन देशव्यापी जनआंदोलन का रूप ले लेगा।

विचारों को कैद नहीं किया जा सकता”

वक्ताओं ने कहा कि सरकार विचारों को जेल में बंद नहीं कर सकती। वांगचुक जैसे लोग इस देश की आत्मा हैं — जिन्होंने जीवनभर लोगों को शिक्षा, पर्यावरण और शांति का संदेश दिया। उन्हें NSA जैसे कठोर कानून के तहत गिरफ्तार करना लोकतंत्र और संविधान की आत्मा का अपमान है।

7 अक्टूबर को संविधान चौक पर धरना

‘हम भारत के लोग’ बैनर तले सभी संगठनों ने घोषणा की कि वे 7 अक्टूबर दोपहर 12 बजे से संविधान चौक पर शांतिपूर्ण धरना देंगे। यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक सोनम वांगचुक को रिहा नहीं किया जाता और लद्दाख को उसका हक नहीं मिलता।

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