
नागपुर का दिल दहला देने वाला हादसा: मासूमों से भरी स्कूल बस-व्हैन की टक्कर
नागपुर में शुक्रवार की सुबह लोगों को झकझोर देने वाली एक दर्दनाक घटना सामने आई।मानकापूर इलाके में सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर उड़ान पुल पर स्कूली बस और स्कूल वैन की आमने-सामने भिड़ंत हो गई। यह हादसा इतना भीषण था कि मौके पर चीख-पुकार मच गई। बस और वैन दोनों में दर्जनों बच्चे सवार थे। टक्कर के बाद बच्चे रोने-चीखने लगे और आसपास का माहौल गमगीन हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस और वैन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं। हादसे में कुल 18 बच्चे घायल हुए हैं। इनमें से 4 की हालत गंभीर बताई जा रही है और एक बच्चा वेंटिलेटर पर है। बाकी घायलों का शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों की टीम लगातार बच्चों की स्थिति पर नजर रखे हुए है।
हादसे की वजह
स्थानीय लोगों का कहना है कि उड़ान पुल पर लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा था। पिछले 6 महीनों से पुल के एक हिस्से पर काम जारी था, लेकिन अचानक काम बंद कर दिया गया। इसके कारण वहां सिर्फ एक लेन से ही वाहनों की आवाजाही हो रही थी। यह सड़क मध्यप्रदेश की ओर जाती है, जिस वजह से यहां हमेशा भारी वाहनों और गाड़ियों का दबाव बना रहता है। ऐसे में सुबह के व्यस्त समय में जब स्कूल बस और वैन आमने-सामने आईं, तो टक्कर से बचना संभव नहीं हो सका।
लोगों का आक्रोश
हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों में गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने मौके पर चक्का जाम आंदोलन शुरू कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। नागरिकों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस और ट्रैफिक विभाग ने कभी भीड़भाड़ वाली इस जगह पर उचित इंतज़ाम नहीं किए। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सड़क पर रोज़ाना इतना भारी ट्रैफिक होता है, तो पुलिस की मौजूदगी क्यों नहीं रहती।
मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़
इस दर्दनाक हादसे ने फिर एक बार यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हमारी सड़कों पर सुरक्षा का स्तर कितना कमजोर है। जो बच्चे घर से पढ़ाई के लिए निकले थे, उनके माता-पिता को जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि कुछ ही मिनटों में उनके मासूम जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे होंगे। कई अभिभावक अस्पतालों में अपने बच्चों के पास रोते-बिलखते देखे गए।
प्रशासन की बड़ी लापरवाही
स्थानीय लोग इसे साफ तौर पर प्रशासन की लापरवाही बता रहे हैं। उड़ान पुल पर अधूरे निर्माण के कारण ट्रैफिक की स्थिति बिगड़ गई थी, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि आज इतने मासूमों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी।