
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस 2025: नागपुर दीक्षाभूमि में श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम
69वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस 30 सितंबर से 2 अक्टूबर तक धूमधाम से मनाया जा रहा है
नागपुर की पवित्र दीक्षाभूमि एक बार फिर श्रद्धा, आस्था और मानवता के महासागर से सराबोर हो उठी है। यहां 69वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस 30 सितंबर से 2 अक्टूबर तक अत्यंत हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा 14 अक्टूबर 1956 को इसी ऐतिहासिक भूमि पर बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर भारत के सामाजिक और धार्मिक इतिहास में नई क्रांति की शुरुआत की थी। आज दशकों बाद भी वही प्रेरणा, वही ऊर्जा और वही मानवता का संदेश नागपुर की दीक्षाभूमि से गूंज रहा है।
तीन दिन तक चलेंगे विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का आरंभ 30 सितंबर की सुबह 8 बजे भदंत आर्य नागार्जुन सूरई ससाई द्वारा बौद्ध धम्म दीक्षा से हुआ। यह कार्यक्रम लगातार तीन दिनों तक चलेगा। दीक्षा के इस अवसर पर देश और विदेश से आए हजारों श्रद्धालु दीक्षाभूमि परिसर में एकत्र हुए हैं।
1 अक्टूबर को पंचशील ध्वज फहराने का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्मारक समिति के सभी सदस्य, भिक्षु और अनुयायी शामिल हुए। पंचशील ध्वज फहराने का क्षण हर साल अनुयायियों के लिए अत्यंत भावनात्मक और गौरवपूर्ण होता है, क्योंकि यह बौद्ध धर्म की करुणा, शांति और समानता के संदेश का प्रतीक है।
अंतरराष्ट्रीय धम्म परिषद और सांस्कृतिक कार्यक्रम
1 अक्टूबर की शाम 6 बजे दीक्षाभूमि के मुख्य हॉल में भदंत सूरई ससाई की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय धम्म परिषद का आयोजन हुआ। इसमें जापान, थाईलैंड, म्यांमार, मलेशिया सहित कई देशों के बौद्ध भिक्षु उपस्थित रहे।
धम्म परिषद में मानवता, समानता और करुणा पर आधारित विचारों का आदान-प्रदान हुआ। परिषद के बाद रात 9 बजे एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारत की विविध संस्कृति, बौद्ध इतिहास और डॉ. आंबेडकर के जीवन दर्शन पर आधारित नृत्य और नाटक प्रस्तुत किए गए।
मुख्य समारोह 2 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें शाम 6 बजे ऐतिहासिक नाटक “संविधान” मंचित किया जाएगा। यह नाटक डॉ. आंबेडकर के संविधान निर्माण में योगदान और सामाजिक समानता के संघर्ष को दर्शाएगा।
🙏 अनुयायियों के स्वागत के लिए प्रशासन की तैयारियां
हर वर्ष की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालु महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और यहां तक कि विदेशों से नागपुर पहुंचे हैं। अनुयायियों की सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष इंतज़ाम किए हैं।
डॉ. आंबेडकर स्मारक समिति के सचिव डॉ. राजेंद्र गवई ने बताया कि भारी बारिश के कारण परिसर में कीचड़ जमा हो गया था, लेकिन अनुयायियों को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए त्वरित सफाई और सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए हैं।
डॉ. आंबेडकर कॉलेज, आसपास के सरकारी संस्थान और स्कूल अनुयायियों के ठहरने के लिए खोले गए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम लगातार मुस्तैद है।
🌿 मुख्य अतिथियों की विशेष उपस्थिति
इस वर्ष के मुख्य समारोह में भदंत चंदिमा थेरो, संस्थापक अध्यक्ष, धम्म शिक्षण केंद्र, सारनाथ (उत्तर प्रदेश), तथा डॉ. राज शेखर वृंद्रू, अतिरिक्त मुख्य सचिव, चंडीगढ़ सरकार, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इनके साथ कई विद्वान, धर्मगुरु और सामाजिक कार्यकर्ता भी मंच साझा करेंगे।
भंते विनाचार्य को लेकर विवाद
कार्यक्रम से पहले महाबोधि आंदोलन के दौरान चर्चित रहे भंते विनाचार्य को आमंत्रित करने को लेकर विवाद सामने आया। उनके अनुयायियों द्वारा उन्हें मुख्य अतिथि बनाने की मांग पर समिति के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई।
समिति ने स्पष्ट किया कि धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस जैसे पवित्र अवसर पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए और हर निर्णय सामूहिक सहमति से लिया जाएगा।
श्रद्धा और प्रेरणा का पर्व
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे का उत्सव है।
यह दिन हर उस व्यक्ति को याद दिलाता है, जिसने अन्याय और भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाई और मानवता के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा अपनाया गया बौद्ध धम्म आज भी लाखों लोगों के जीवन को दिशा दे रहा है।
दीक्षाभूमि का वातावरण इन दिनों मंत्रोच्चारण, भिक्षुओं की वंदना, मोमबत्तियों की रोशनी और श्रद्धालुओं के “जय भीम” के नारों से गूंज रहा है।
हर ओर भक्ति, अनुशासन और एकता का अद्भुत दृश्य दिखाई दे रहा है।
निष्कर्ष:
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस 2025 न सिर्फ़ नागपुर बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक है। यह दिवस भारत की आत्मा में गहराई तक बसे उस विचार को पुनर्जीवित करता है कि “मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।”
डॉ. आंबेडकर की दीक्षाभूमि आज भी हर पीढ़ी को यही सिखाती है —
👉 “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।”
