दीवाली-छठ से पहले दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिए थे ISIS आतंकी, लेकिन 9 दिन तक क्यों रखा राज़? जानिए पूरी कहानी

दीवाली-छठ की खुशियों के बीच दिल्ली में बड़ा आतंकी खुलासा: पुलिस ने 9 दिन तक राज़ छिपाकर बचाई करोड़ों लोगों की जान

दीवाली की जगमग रोशनी और छठ की पवित्र तैयारियों के बीच, दिल्ली की हवा में एक खतरनाक साजिश घुलने वाली थी — ISIS-प्रेरित एक आतंकी मॉड्यूल की साजिश, जिसका मकसद त्योहारों की भीड़भाड़ के बीच दहशत फैलाना था। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस पूरे ऑपरेशन को इतनी रणनीतिक चुप्पी में अंजाम दिया कि किसी को भनक तक नहीं लगी। 16 और 18 अक्टूबर को दो संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन इस बात का खुलासा पुलिस ने पूरे 9 दिन बाद, यानी 25 अक्टूबर को किया।

अब सवाल उठता है — आख़िर इतनी बड़ी बात को इतने दिनों तक दबाकर क्यों रखा गया? जवाब साफ है: लोगों की सुरक्षा और त्योहारों की खुशियां बचाने के लिए।

त्योहारी सीजन में दहशत से बचाने की रणनीति

एडिशनल पुलिस आयुक्त प्रमोद सिंह कुशवाहा के मुताबिक, अगर इन गिरफ्तारियों की जानकारी दीवाली या छठ से पहले सामने आ जाती, तो दिल्ली में डर और अफरातफरी मच जाती। बाजार खाली हो जाते, मॉल्स सुनसान पड़ जाते, पूजा स्थलों पर भीड़ कम हो जाती और लोगों में आतंक फैल जाता। यही वजह थी कि पुलिस ने पूरे ऑपरेशन को “गोपनीय” रखा।
कुशवाहा ने बताया, “यह चुप्पी हमारी सतर्कता का हिस्सा थी, कमजोरी नहीं। हमें न सिर्फ संदिग्धों को पकड़ना था, बल्कि उनके पूरे नेटवर्क को तोड़ना भी था।”

त्योहारी भीड़भाड़ में किसी भी अफवाह या डर की लहर फैलने का मतलब था – शहर में अराजकता। इसलिए पुलिस ने केंद्र की एजेंसियों जैसे एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ मिलकर बेहद सटीक और चुपचाप ऑपरेशन चलाया।

कैसे चला ऑपरेशन ‘साइलेंट स्ट्राइक’

16 अक्टूबर की सुबह, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने साउथ दिल्ली के सादिक नगर इलाके में छापा मारा। वहां से मोहम्मद अदनान उर्फ अबू मुहारिब नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया। उसके घर से ISIS का झंडा, डिजिटल मटेरियल, आतंकी प्रचार से जुड़ा डेटा, बयाह (ISIS जॉइनिंग) के कपड़े और टाइमर घड़ी जैसी चीजें मिलीं।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि अदनान का संपर्क भोपाल के एक और संदिग्ध से है, जो ऑनलाइन ISIS हैंडलर से जुड़ा है। 18 अक्टूबर को भोपाल ATS के सहयोग से दूसरे आरोपी मोहम्मद अदनान खान उर्फ अबू मोहम्मद को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस के मुताबिक, ये दोनों युवक ISIS की ऑनलाइन प्रचार मशीनरी का हिस्सा थे, जो सोशल मीडिया के ज़रिए युवाओं को जिहादी विचारधारा से प्रभावित कर रहे थे। इनके टेलीग्राम चैनल और एन्क्रिप्टेड चैट्स से पता चला कि ये दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके — साकेत मॉल, कनॉट प्लेस, या किसी धार्मिक स्थल — को निशाना बना सकते थे।

सीरिया से कनेक्शन और अबू इब्राहिम का लिंक

जांच में यह भी सामने आया कि दोनों आरोपी सीरिया स्थित ISIS के एक हैंडलर अबू इब्राहिम के संपर्क में थे। यह वही व्यक्ति है जो भारत में युवाओं को ऑनलाइन कट्टरपंथी बनाने और उन्हें “डिजिटल जिहाद” में झोंकने का काम करता है।
अगर यह ऑपरेशन जल्द उजागर हो जाता, तो अबू इब्राहिम और उसके बाकी नेटवर्क को चेतावनी मिल जाती, जिससे कई संदिग्ध भाग सकते थे या अपने डिजिटल सबूत मिटा सकते थे।

इसीलिए पुलिस ने त्योहारी सीजन खत्म होने तक चुप्पी बनाए रखी। 25 अक्टूबर को जब दीवाली और छठ का मुख्य दौर निकल गया, तब जाकर पूरी जानकारी सार्वजनिक की गई।

पुलिस की रणनीति ने बचाई दिल्ली की शांति

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि त्योहारों के दौरान सुरक्षा एजेंसियों के पास खुफिया इनपुट था कि आतंकी मॉड्यूल “एक बड़े शॉपिंग मॉल या पूजा स्थल” को निशाना बना सकता है। ऐसे में ज़रा सी लापरवाही करोड़ों लोगों की जान को खतरे में डाल सकती थी।
स्पेशल सेल ने न सिर्फ संदिग्धों को पकड़ा, बल्कि उनकी ऑनलाइन गतिविधियों को भी ट्रैक करते हुए कई और हैंडलर्स की पहचान की है।

त्योहारों की रौनक बरकरार रखने की बड़ी जीत

दीवाली और छठ जैसे त्योहारों में जब दिल्ली लाखों दीयों की रोशनी में नहा रही थी, तब पुलिस ने परदे के पीछे एक ऐसा ऑपरेशन चलाया जिसने दहशत के अंधेरे को मिटा दिया।
यह सिर्फ दो आतंकियों की गिरफ्तारी नहीं थी — यह एक समय पर लिया गया चुपचाप फैसला था जिसने न जाने कितने परिवारों की खुशियां बरकरार रखीं।

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