
तमिलनाडु के करूर में विजय की रैली में मची भगदड़ — 40 की मौत, सैकड़ों घायल, आखिर जिम्मेदार कौन?
तमिलनाडु के करूर जिले में शनिवार की शाम एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। साउथ के सुपरस्टार और नेता थलपति विजय की रैली में मची भगदड़ ने 40 लोगों की जान ले ली, जबकि 51 से ज्यादा लोग आईसीयू में भर्ती हैं। इस हादसे ने तमिलनाडु ही नहीं, पूरे देश को झकझोर दिया है।
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने हादसे पर गहरा शोक जताया है और तत्काल राहत कार्यों का आदेश दिया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है। साथ ही, हादसे की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस जगदीशन की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।
😢 सुबह से इंतजार, शाम को मातम
जानकारी के अनुसार, करूर में विजय की इस रैली के लिए प्रशासन ने करीब 10 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन 1 लाख 20 हजार स्क्वेयर फीट के एरिया में 50 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठा हो गए। सुबह से लोग बिना खाना-पानी के सिर्फ अपने चहेते स्टार विजय की एक झलक पाने के लिए खड़े थे।
लोगों को बताया गया था कि विजय सुबह 11 बजे पहुंचेंगे, लेकिन वे करीब 6 घंटे की देरी से पहुंचे। इस दौरान भीड़ बेकाबू होती चली गई। जब विजय मंच पर पहुंचे, तभी सूचना आई कि एक 9 साल की बच्ची लापता हो गई है। विजय खुद मंच से उतरकर उस बच्ची को ढूंढने की अपील करने लगे। तभी मंच के सामने खड़ी भीड़ में अफरा-तफरी मच गई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जो कुछ ही मिनटों में भयावह भगदड़ में बदल गई।
⚠️ चिल्लाहट, अफरातफरी और मौत का मंजर
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जैसे ही भीड़ बढ़ी, कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। भगदड़ में 12 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 बच्चे कुचलकर मर गए। कई लोग गर्मी और दम घुटने की वजह से बेहोश हो गए। रैली स्थल पर न तो एंबुलेंस अंदर जा पा रही थी, न ही पुलिस या वॉलंटियर्स भीड़ को काबू कर पा रहे थे।
लोग अपने घायल परिजनों को गोद में उठाकर अस्पताल तक दौड़े। कुछ ने ऑटो और बाइक से घायलों को ले जाने की कोशिश की। अस्पतालों के बाहर परिजनों की चीख-पुकार और रोने की आवाजें सुनाई देती रहीं। किसी ने अपना बेटा खो दिया, किसी ने पत्नी या बच्चा। कई परिवारों के घर के चिराग बुझ गए।
🔍 हादसे के पीछे छिपे 6 बड़े कारण
सरकारी रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस हादसे के पीछे कई गंभीर लापरवाहियां सामने आई हैं —
- विजय का देर से पहुंचना — करीब 6 घंटे देरी से पहुंचने के कारण भीड़ अधीर हो गई थी।
- भीड़ पर नियंत्रण न होना — प्रशासन ने 30 हजार लोगों के आने का अनुमान लगाया था, लेकिन 60 हजार से ज्यादा पहुंच गए।
- सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी थी — मौके पर पर्याप्त पुलिसकर्मी या वॉलंटियर्स मौजूद नहीं थे।
- गर्मी और भूख-प्यास से बेहोशी — सुबह से भीड़ बिना पानी-भोजन के खड़ी रही।
- मंच की ओर बढ़ती भीड़ — शाम 7:45 बजे के आसपास कुछ लोग विजय की बस की ओर भागे, जिससे भगदड़ मच गई।
- बच्ची के लापता होने की घोषणा — मंच से की गई अपील के बाद लोग अचानक हरकत में आ गए, जिससे हालात और बिगड़ गए।
💔 “यह दिल तोड़ देने वाला है” — विजय और पीएम मोदी का बयान
हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए कहा, “तमिलनाडु के करूर हादसे से मन व्यथित है। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति दे।”
वहीं विजय ने ट्वीट कर कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे दर्दनाक पल है। मेरी प्रार्थना है कि जो घायल हैं, वे जल्द स्वस्थ हों। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए हमें जिम्मेदारी से काम करना होगा।”
🚨 जांच शुरू, पर सवाल बाकी…
मुख्यमंत्री स्टालिन खुद करूर पहुंचे और मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायलों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जांच आयोग जल्द रिपोर्ट देगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
लेकिन सवाल यह है कि जब प्रशासन को पहले से भीड़ के आकार का अंदाजा था, तो सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं बढ़ाए गए?
क्या यह लापरवाही आयोजकों की थी, या प्रशासन की चूक?
क्या विजय की टीम ने भीड़ को संभालने की कोई ठोस तैयारी की थी?
🕯️ करूर की वो रात — जो हमेशा याद रहेगी
शनिवार की वो शाम करूर के लिए किसी कयामत से कम नहीं थी।
जहां लोग अपने पसंदीदा स्टार की झलक पाने के लिए जमा हुए थे, वहां पलभर में खुशी मातम में बदल गई।
विजय की रैली अब सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं रही — यह तमिलनाडु के इतिहास का सबसे दर्दनाक हादसों में से एक बन गई है।