
चमोली में फिर बादल फटा: नंदा नगर इलाके में तबाही का मंजर
उत्तराखंड की शांत वादियां एक बार फिर आफत की बारिश से दहल उठीं। बुधवार देर रात करीब 10 बजकर 30 मिनट पर चमोली जिले के नंदा नगर विकासखंड के कई इलाकों में अचानक बादल फट गया। यह कहर तड़के साढ़े तीन बजे तक जारी रहा। कुछ ही घंटों की बारिश ने पहाड़ की पूरी तस्वीर बदल डाली। गांव दरक गए, घर बह गए और लोगों की ज़िंदगी पल भर में उजड़ गई।
बादल फटने का सबसे ज्यादा असर कुंतरी, लगाफल्ली और धुर्मा गांव में देखने को मिला। अचानक आए सैलाब और मलबे ने यहां के लोगों को संभलने तक का मौका नहीं दिया। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 1 व्यक्ति की मौत हो चुकी है, 14 लोग लापता हैं और करीब 20 लोग घायल बताए जा रहे हैं। वहीं, राहत की बात यह है कि समय रहते 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
मकान, सड़कें और पुल बह गए
इस भीषण आपदा ने गांव के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। मलबा आने से 33 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, कई घर, गोशालाएं और दुकानें मलबे में समा गईं। अनुमान है कि 15 से 20 भवन पूरी तरह से बह गए।
सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने वाली सड़कें और पुल भी इस आपदा की चपेट में आकर बह गए। कई जगह संपर्क मार्ग टूटने से राहत दलों को गांव तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
राहत और बचाव अभियान जारी
आपदा की जानकारी मिलते ही प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम हरकत में आ गई। NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं और तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू किया।
कुंतरी और लगाफल्ली गांव में कई लोग मलबे में दबे होने की आशंका है। यहां से कुछ लोगों को हेलिकॉप्टर के जरिए सुरक्षित निकाला गया। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद आपदा कंट्रोल रूम पहुंचे और अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद और मुआवजा दिया जाएगा।
लोगों की आंखों में खौफ और दर्द
गांव के लोगों के लिए यह रात किसी डरावने सपने से कम नहीं थी। अचानक आसमान से बरसे पानी और पहाड़ से उतरे मलबे ने सब कुछ उजाड़ दिया। जिन घरों में कुछ घंटे पहले लोग चैन की नींद सो रहे थे, वहां अब सिर्फ खंडहर और गहरा सन्नाटा है।
एक स्थानीय महिला की आंखों से बहते आंसू बताते हैं कि उन्होंने कैसे कुछ ही पलों में अपना सब कुछ खो दिया। लोग अपने प्रियजनों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। कहीं चीख-पुकार है, तो कहीं मलबे के नीचे दबे अपनों को ढूंढने की जद्दोजहद।
पहाड़ों पर बार-बार क्यों फटते हैं बादल?
विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी इलाकों में अचानक भारी बारिश का होना, संकरी घाटियों और नदियों के किनारे बसे गांवों के लिए सबसे खतरनाक साबित होता है। जलवायु परिवर्तन और बेतरतीब निर्माण इन आपदाओं की आवृत्ति और भयावहता को बढ़ा रहा है।
सरकार और जनता की दोहरी जिम्मेदारी
उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य में ऐसी घटनाएं बार-बार लोगों को सचेत करती हैं कि पहाड़ अब बहुत नाजुक हो गए हैं। सरकार को चाहिए कि समय पर अलर्ट सिस्टम को और मजबूत बनाए, वहीं जनता को भी जोखिम वाले इलाकों से दूर सुरक्षित स्थानों पर बसने के लिए प्रेरित किया जाए।