
नेशनल डेस्क।
विज्ञान की दुनिया में एक ऐसी खोज हुई है जिसने प्रजनन विज्ञान (Reproductive Science) का भविष्य बदलने की दिशा में एक नई उम्मीद जगा दी है। अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (OHSU) के वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव त्वचा की कोशिकाओं से अंडाणु (Egg Cell) तैयार करने में सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा जगत के लिए ऐतिहासिक है बल्कि उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो बांझपन (Infertility) की समस्या से जूझ रहे हैं या फिर वे समान-लिंग (Same-Sex) कपल्स हैं जो अपने जैविक बच्चे (Biological Child) का सपना देखते हैं।
विज्ञान की दुनिया में ऐतिहासिक कदम
OHSU की टीम ने यह दिखाया है कि एक दिन ऐसा आ सकता है जब किसी व्यक्ति की त्वचा की कोशिका से उसका अंडाणु तैयार किया जा सके। यानी भविष्य में महिला के अंडाणु या पुरुष के शुक्राणु की जरूरत न भी पड़े — बस उनकी त्वचा की कोशिकाओं से ही नया जीवन जन्म ले सकेगा।
यह शोध प्रजनन चिकित्सा (Reproductive Medicine) के इतिहास में एक बड़ा “टर्निंग पॉइंट” माना जा रहा है।
कैसे बनाया गया त्वचा से अंडाणु?
यह प्रक्रिया बेहद जटिल और सूक्ष्म थी। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में “नाभिक का आदान-प्रदान (Nuclear Transfer)” तकनीक का उपयोग किया।
सबसे पहले एक मानव अंडाणु कोशिका (Human Egg Cell) ली गई।
फिर उस कोशिका से उसका नाभिक (Nucleus) निकाल दिया गया।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक त्वचा कोशिका (Skin Cell) से नाभिक लेकर उसे उस खाली अंडाणु कोशिका में डाल दिया।
लेकिन यहां सबसे बड़ी चुनौती थी — क्रोमोसोम (Chromosomes) की संख्या।
क्योंकि त्वचा कोशिकाओं में क्रोमोसोम के दो सेट (Diploid) होते हैं जबकि अंडाणु या शुक्राणु में केवल एक सेट (Haploid) होना चाहिए।
इसी समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की जिसे उन्होंने नाम दिया “क्रोमोसोम संख्या घटाने की प्रक्रिया (Chromosome Reduction Process)”।
शुरुआती नतीजे और सफलता
इस प्रक्रिया के बाद इन लैब में तैयार अंडाणु जैसी कोशिकाओं में डोनर स्पर्म (Donor Sperm) डाला गया।
परिणाम चौंकाने वाले थे — लगभग 9% अंडाणु सफलतापूर्वक निषेचित (Fertilized) हुए और 6 दिन तक जीवित रहकर ब्लास्टोसिस्ट स्टेज (Blastocyst Stage) तक पहुंचे।
यानी वे भ्रूण बनने के शुरुआती चरण तक विकसित हो गए।
हालांकि वैज्ञानिकों को आगे की वृद्धि रोकनी पड़ी क्योंकि इन कृत्रिम अंडाणुओं में गंभीर क्रोमोसोमल गड़बड़ियां (Chromosomal Abnormalities) पाई गईं।
‘सफलता के साथ खतरा भी’
OHSU की रिसर्च टीम के प्रमुख वैज्ञानिक शौखरात मिटलिपोव (Shoukhrat Mitalipov) ने कहा कि यह प्रयोग “प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (Proof of Concept)” है — यानी अब यह सिद्ध हो चुका है कि त्वचा की कोशिकाओं को अंडाणु में बदलना संभव है।
मिटलिपोव के मुताबिक, “हमने साबित कर दिया है कि हम त्वचा की कोशिका को एक प्रजनन कोशिका (Reproductive Cell) में बदल सकते हैं। अब हमें बस इसे सही और सुरक्षित तरीके से करने का तरीका विकसित करना है।”
लेकिन वैज्ञानिकों ने साथ ही स्पष्ट चेतावनी दी है —
“यह तकनीक इंसानों पर लागू करने से पहले कम से कम 10 साल और शोध की आवश्यकता है। फिलहाल क्रोमोसोम को सामान्य और स्थिर रखना सबसे बड़ी चुनौती है।”
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की राय
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्टेम सेल विशेषज्ञ डाइटरिख एग्ली (Dieter Egli) ने कहा कि “इन कोशिकाओं में जो क्रोमोसोम गड़बड़ियां देखी गईं, वे बहुत गंभीर हैं। यह दर्शाता है कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।”
वहीं, डॉ. ईव फाइनबर्ग (Eve Feinberg) ने इस प्रयोग को “मानव प्रजनन विज्ञान की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग” बताया। उनके अनुसार,
“टीम ने साबित कर दिया है कि अंडाणु कोशिका में क्रोमोसोम की संख्या घटाई जा सकती है — यह अपने आप में एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है।”
भविष्य की संभावनाएं
अगर यह तकनीक आगे जाकर सफल होती है, तो यह प्रजनन चिकित्सा (Fertility Treatment) की दुनिया में क्रांति (Revolution) ला सकती है।
बांझपन से पीड़ित लोग, जिनके अंडाणु या शुक्राणु नहीं बनते, वे अपने जैविक बच्चे पा सकेंगे।
समान-लिंग वाले जोड़े (Gay या Lesbian Couples) भी अपने दोनों पार्टनर्स से आनुवंशिक रूप से जुड़े बच्चे (Genetically Related Children) पा सकेंगे।
यह खोज भविष्य में मानव जीवन की उत्पत्ति और उसकी सीमाओं को समझने का नजरिया पूरी तरह बदल सकती है।