खांसी सिरप पीकर सोया मासूम, फिर कभी नहीं जागा! सरकारी फ्री दवा बनी मौत का जहर

राजस्थान में सरकारी फ्री दवाई योजना पर सवाल: खांसी सिरप से मासूम की मौत ने हिलाया प्रदेश

सीकर-भरतपुर के बाद वैर में 2 साल के बच्चे की मौत, परिजनों का आरोप – सरकारी सिरप बनी मौत की वजह

राजस्थान की सरकारी फ्री मेडिसिन स्कीम (Free Medicine Scheme) को जनता की सुविधा के लिए शुरू किया गया था ताकि गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोगों को बिना खर्च के इलाज मिल सके। लेकिन अब यही योजना सवालों के घेरे में है। वजह है — सरकारी अस्पताल से मिलने वाली खांसी की सिरप, जिसे पीने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई और कुछ ने तो दम भी तोड़ दिया।

ताजा मामला भरतपुर जिले के वैर क्षेत्र के लुहासा गांव का है, जहां 2 साल के बच्चे तीर्थराज की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है।

इलाज के लिए अस्पताल गए थे, लेकिन लौटा शव

मृतक बच्चे के पिता निहाल सिंह बताते हैं कि उनके दो बेटे हैं — बड़ा बेटा थान सिंह (5 वर्ष) और छोटा बेटा तीर्थराज (2 वर्ष)।
23 सितंबर को दोनों को खांसी-जुकाम की शिकायत हुई, तो वे बच्चों को वैर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले गए।
वहां डॉ. बबलू मुद्गल ने बच्चों के लिए दवाइयां लिखीं, जिनमें खांसी की सिरप भी शामिल थी।

घर लौटने के बाद परिजनों ने दोनों बच्चों को दवा दी। लेकिन तीर्थराज को जैसे ही खांसी सिरप पिलाई गई, कुछ ही देर बाद वह सो गया और घंटों तक जागा ही नहीं।

चार घंटे बाद जब बच्चे ने आंख नहीं खोली, तो परिवार में अफरा-तफरी मच गई। परिजन उसे तुरंत वैर उपजिला अस्पताल ले गए, वहां से भरतपुर अस्पताल और फिर हालत गंभीर होने पर जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर किया गया।

लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद 27 सितंबर की सुबह डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का आरोप: सिरप बनी मौत की वजह

बच्चे के पिता का कहना है कि सिरप पिलाने के बाद ही बच्चे की हालत बिगड़ी। पहले उन्होंने सोचा कि शायद सामान्य प्रतिक्रिया होगी, लेकिन जब उन्होंने खबरों में सीकर और भरतपुर में खांसी सिरप पीने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत के मामले देखे, तब उन्हें एहसास हुआ कि उनके बच्चे की हालत भी उसी वजह से हुई थी।

उन्होंने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि इस सिरप की तुरंत जांच की जाए और दोषी दवा सप्लायर व संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

स्वास्थ्य विभाग ने रोका सिरप का वितरण

इस घटना के बाद वैर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. बीपी शर्मा ने मामले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि बच्चों को एंटीबायोटिक टैबलेट और खांसी सिरप दी गई थी।
मीडिया में खबरें आने के बाद इस सिरप का वितरण तत्काल रोक दिया गया है, और मामले की जांच चल रही है।

स्वास्थ्य विभाग अब यह पता लगाने में जुटा है कि यह सिरप किस कंपनी की थी, उसका बनाने की तारीख, बैच नंबर, और गुणवत्ता प्रमाणन क्या था।

लगातार बढ़ रहे हैं मामले, जनता में डर का माहौल

राजस्थान में यह पहला मामला नहीं है।
इससे पहले सीकर और भरतपुर में भी बच्चों की तबीयत इसी तरह सरकारी सिरप पीने के बाद बिगड़ी थी।
इन घटनाओं ने सरकारी फ्री मेडिसिन योजना की गुणवत्ता और निगरानी पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीण इलाकों में लोग अब सरकारी दवाइयां लेने से कतराने लगे हैं।
कई परिवार अपने बच्चों के लिए निजी डॉक्टरों और प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स से दवाएं खरीदना ज्यादा सुरक्षित समझ रहे हैं।

जनता की मांग: जवाबदेही तय हो, दोषियों को सजा मिले

इस पूरे मामले ने राज्य सरकार की फ्री दवा योजना पर जनता का भरोसा हिला दिया है।
लोगों का कहना है कि गरीबों को राहत देने के नाम पर अगर उन्हें जहरीली या घटिया गुणवत्ता वाली दवाएं दी जाएंगी, तो यह किसी अपराध से कम नहीं।

परिजनों ने राज्य सरकार से न्याय और सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि किसी और मासूम की जान इस तरह न जाए।

सवाल सरकार से

• क्या इन सिरप की गुणवत्ता जांच पहले नहीं की गई थी?
• क्या फ्री मेडिसिन स्कीम में सप्लायर्स की जवाबदेही तय है?
• और आखिर जांच पूरी होने तक, कितने और परिवार ऐसे दर्द से गुजरेंगे?

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