उत्तराखंड में तबाही: बाढ़ और भूस्खलन से खाली कराया जा रहा इलाका

उत्तराखंड फिर डूबा तबाही के सैलाब में: चमोली में बादल फटने से मचा हाहाकार

उत्तराखंड की धरती इन दिनों मानो प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रही है। बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही और एक के बाद एक बादल फटने की घटनाओं ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह हिला कर रख दिया है। देहरादून की सहस्त्रधारा में कुछ दिन पहले ही बादल फटने से तबाही मची थी और अब चमोली ज़िले में फिर से बादल फटने से भयावह हालात बन गए हैं।

पहाड़ों पर अचानक गिरे इस जल प्रहार ने चारों तरफ तबाही का मंजर खड़ा कर दिया। देखते ही देखते पानी और मलबे का सैलाब गाँवों की ओर बढ़ा और अपने साथ सबकुछ बहा ले गया। जिन घरों में कभी हंसी-खुशी गूंजती थी, वहां अब सिर्फ मलबा, टूटी दीवारें और बिखरे सामान नज़र आ रहे हैं।

चमोली के नंदा नगर इलाके में हुई इस घटना ने दर्जनों परिवारों को बेघर कर दिया। जानकारी के मुताबिक कुंतरी, लगाफल्ली और धुर्मा गाँव पूरी तरह सैलाब की चपेट में आ गए। करीब 35 मकान मलबे के नीचे दबकर क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि कई गौशालाएं और छोटे घर बह गए। इस आपदा में अब तक 20 लोग घायल और 14 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत की बात यह है कि करीब 200 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

बादल फटने के बाद पानी की तेज़ धार न केवल घरों में घुसी बल्कि पहाड़ का बड़ा हिस्सा टूटकर सड़क पर आ गिरा। बोल्डरों और मलबे के ढेर ने रास्ते जाम कर दिए हैं। कई जगहों पर JCB मशीनों की मदद से सड़कों को साफ करने का काम लगातार जारी है। लेकिन बारिश के कारण राहत कार्यों में भारी दिक्कतें आ रही हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात का जायज़ा लिया और प्रभावित इलाकों में तत्काल राहत एवं बचाव कार्य तेज़ करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि NDRF और SDRF की टीमों को पूरी ताकत से काम करने के लिए लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरा दुख जताया और भरोसा दिलाया कि हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी।

लोगों के लिए ये समय किसी डरावने सपने से कम नहीं है। जिन गाँवों में कल तक लोग अपने खेत-खलिहानों और पशुओं के साथ सुरक्षित महसूस करते थे, आज वे मलबे के ढेर में बदल गए हैं। अचानक आई इस आसमानी आफत ने सबकुछ छीन लिया – घर, पशु, फसलें और सबसे बढ़कर कई परिवारों के अपने।

स्थानीय लोग बताते हैं कि सिर्फ तीन दिनों में यह दूसरा सैलाबी प्रहार है, जिसने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। प्रशासन द्वारा राहत शिविर बनाए जा रहे हैं, लेकिन डर और सदमे से उबरना लोगों के लिए आसान नहीं है।

उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, इन दिनों मानो प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहा है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की लगातार घटनाओं ने इस खूबसूरत पहाड़ी राज्य को जख्मी कर दिया है। आने वाले दिनों में सबसे बड़ी चुनौती होगी – लापता लोगों को ढूंढना, घायलों का इलाज करना और बेघर परिवारों को सुरक्षित आश्रय दिलाना।

आज उत्तराखंड के लोग सिर्फ एक ही दुआ कर रहे हैं – बारिश थमे और पहाड़ों पर मंडरा रही आसमानी आफत अब रुक जाए।

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