
सैलाबी सितम्बर से सावधान! उत्तरकाशी में कुदरत का कहर – चारों ओर त्राहि-त्राहि
उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला इन दिनों कुदरत के कहर से जूझ रहा है। नौगांव क्षेत्र में बादल फटने की घटना ने चारों तरफ तबाही मचा दी है। देखते ही देखते सड़कों पर समंदर जैसा नजारा बन गया। तेज बहाव का पानी सीधे घरों के अंदर घुस गया और लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला।
तेज उफान के कारण खड्डों से निकला पानी कई घरों को बहाकर ले गया। लाखों एकड़ खेत बर्बाद हो गए, नदी-नाले उफान पर हैं और पूरा इलाका सैलाब की गिरफ्त में है। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है, लेकिन लोगों में डर का माहौल साफ झलक रहा है।
गांवों में हालात इतने खराब हैं कि पहाड़ से उतरा मलबा घरों में घुस गया, दुकानें जलमग्न हो गईं और बाजार पूरी तरह ठप हो गया। नौगांव के कई हिस्सों में वाहन बाढ़ की धारा में बह गए।
हिमाचल और लद्दाख में भी भारी तबाही
केवल उत्तराखंड ही नहीं, पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी बादल फटने और भूस्खलन ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। चंबा में हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक़, 1000 से अधिक गौशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं और 2000 से ज्यादा मकान जमीन में धंस गए। लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
लद्दाख के कारगिल इलाके से भी चिंताजनक खबरें सामने आई हैं। यहां भारी भूस्खलन के कारण कई रास्ते बंद हो गए हैं। जोशिला इलाके में जगह-जगह भूस्खलन होने से यातायात पूरी तरह ठप है। इससे आम लोगों के साथ-साथ सेना की आवाजाही पर भी असर पड़ा है।
दिल्ली तक हालात बेकाबू
उत्तराखंड से लेकर हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक फैली इस प्राकृतिक आपदा का असर अब दिल्ली तक दिखाई देने लगा है। नदियों के उफान ने हालात बिगाड़ दिए हैं और दिल्ली के निचले इलाकों में पानी भरने लगा है।
जम्मू-कश्मीर के अखनूर इलाके में बाढ़ का कहर इतना भयानक है कि 26 गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। सड़कों के टूटने और पुल बहने से करीब 425 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान बताया जा रहा है।
चारों ओर हाहाकार – बचाव दल तैनात
बाढ़ और भूस्खलन से तबाही के इस दौर में रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। लेकिन हालात इतने विकट हैं कि राहत कार्य भी चुनौती बन गया है।
घरों, दुकानों और खेतों के साथ-साथ लोगों की गाड़ियां और सामान तिनकों की तरह बह रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित निकालने में जवानों को दिन-रात मेहनत करनी पड़ रही है।
कुदरत के आगे इंसान बेबस
सितंबर का यह महीना उत्तर भारत के लिए सैलाबी सितम्बर बन चुका है। उत्तराखंड से लेकर हिमाचल, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर तक हर जगह कुदरत का कहर इंसान की मजबूरी को दिखा रहा है। लोग डरे हुए हैं, गांव खाली हो रहे हैं और चारों ओर सिर्फ चीख-पुकार सुनाई दे रही है।
कुदरत का यह प्रकोप एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम कितनी भी आधुनिकता की ओर बढ़ जाएं, लेकिन प्रकृति के सामने इंसान हमेशा बेबस रहेगा।