“अगले महीने ला नीना का असर: पहाड़ों पर भारी बर्फबारी, मैदानी इलाकों में कड़कड़ाती ठंड!”

ला नीना की दस्तक: पहाड़ों पर बर्फबारी, मैदानों में कड़कड़ाती सर्दी!

भारत में इस साल मानसून सीज़न ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार देश के कई हिस्सों में औसत से अधिक बारिश दर्ज की गई है। सितम्बर की शुरुआत से ही कई राज्यों में झमाझम बारिश आफत बनकर बरसी और अब मौसम वैज्ञानिकों ने साल के अंत तक एक और बड़ी चेतावनी जारी की है। इस बार चेतावनी है ला नीना के लौटने की।

मौसम विभाग का कहना है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना बनने की लगभग 71 प्रतिशत संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो इसका सीधा असर भारत के मौसम पर पड़ेगा। उत्तरी भारत में कड़कड़ाती ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी देखने को मिलेगी। यानी इस बार सर्दियों की दस्तक आम दिनों से ज्यादा तीव्र हो सकती है।


🌧️ मानसून के दौरान रही सक्रियता

इस बार मानसून ने उम्मीद से ज्यादा सक्रियता दिखाई। देशभर में सामान्य से अधिक बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सितंबर महीने में भी औसत से ज्यादा बारिश हो सकती है और वही हुआ। कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बने।

अब वैज्ञानिक मानते हैं कि जिस तरह समुद्र की सतह का तापमान बदल रहा है, उससे साल के आखिर तक ला नीना की स्थिति विकसित हो सकती है।


❄️ ला नीना क्या है?

ला नीना असल में एल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ENSO) का ठंडा रूप है। जब प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, और यह स्थिति लगातार तीन महीने तक बनी रहती है, तो इसे ला नीना कहा जाता है।

इस दौरान समुद्र की सतह का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है। नतीजा यह होता है कि वैश्विक स्तर पर मौसम में बड़े बदलाव आते हैं। भारत में इसका सीधा असर सर्दियों पर पड़ता है, और कड़ाके की ठंड का अनुभव होता है।


🏔️ पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानों में सर्दी

मौसम विशेषज्ञ जीपी शर्मा के अनुसार, अगर ला नीना सक्रिय होता है तो हिमालयी राज्यों में भारी बर्फबारी हो सकती है। वहीं, उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में सामान्य से कहीं ज्यादा ठंड पड़ेगी।

इसका असर इतना तेज़ हो सकता है कि जनवरी से फरवरी 2026 तक कड़कड़ाती सर्दी बनी रहे। यहां तक कि अमेरिका भी ड्राई विंटर्स (सूखी सर्दियों) के लिए अलर्ट पर है।


🌍 वैश्विक असर भी तय

ला नीना केवल भारत को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है। अमेरिका और यूरोप में ठंडी और सूखी सर्दियां, जबकि एशिया के कई हिस्सों में भारी वर्षा और बर्फबारी देखी जा सकती है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण भी बन सकती है, क्योंकि ज्यादा ठंड और लगातार बदलते मौसम का असर फसलों पर पड़ता है।


⚠️ मौसम विभाग की चेतावनी

IMD ने साफ चेतावनी दी है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच मौसम में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। लोग सर्दियों की तैयारियां पहले से शुरू कर दें, क्योंकि इस बार ठंड सामान्य से अधिक लंबी और तेज़ हो सकती है।

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